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१५ तारीख को रात मनीष गुप्ता जी ने कोर्ट न summon की पीडीऍफ़ ही डाल दी,बाद मैं डिलीट की
कल से वह ऑनलाइन ही नहीं ए
पता चला सपोला नाम के फेक id से की ऐसा क्यों
उसकी जुबानी स्टेटमेंट as below
कल से वह ऑनलाइन ही नहीं ए
पता चला सपोला नाम के फेक id से की ऐसा क्यों
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लेकिन उसके बाद वो पोस्ट अपने आप डिलीट कर दी गई बिना किसी स्पष्टीकरण के।
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असली कारण तो अब पता चला है.. क्यूँकी ये उस कोर्ट केस के ऑर्डर के चलते डिलीट की गई है जिसकी डिटेल्स मनीष जी ने भारी सभा में सबको पब्लिकली अवेलेबल करवा दी थी।
कोर्ट्स की वेबसाइट से ये ऑर्डर निकला गया है, जिससे साफ पता चलता है कि वो पोस्ट कोर्ट ने ऑर्डर करके डिलीट करवाई है और साथ ही साथ भविष्य में उनके द्वारा ऐसी उलजलूल पोस्ट करने पर रोक भी लगायी है..
वेबसाइट के लिंक से कोई भी जाके देख सकता है ये ऑर्डर।
और शायद इसी वजह से मनीष जी कल से बिलकुल शांत बैठे हैं…
तो नतीजा यही निकलता है कि कोर्ट कचहरी के नोटिस SM पर शेयर नहीं करने चाहिए और इन चीजों को संजीदगी से लेना चाहिए.. अन्यथा जनता की अदालत में तो हीरो बन जाओगे पर असली अदालत में छीछालेदर हो जाएगी क्यूंकि अंतिम फैसला अदालत में बैठा हुआ जज ही करता है।
ऐसे कृत्य करने वालों को याद रखना चाहिए कि ये कोई फिल्म नहीं है जहां वो चिल्लाकर जज से कह देंगे कि फाड़कर फेंक दो कानून की ये किताबें और जज चुप करके सुनेगा और पीछे जनता तालियां बजा रही होगी…
अरे जज है वो ……..जुबान से पोंछा लगवाएगा..
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