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गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स !
हाल ही में राजा पॉकेट बुक्स की तरफ से कॉमिक्स इंडिया को एक लीगल नोटिस भेजा गया जिसमें राजा पॉकेट बुक्स ने तुलसी कॉमिक्स में अपनी 50% हिस्सेदारी बताते हुए कॉमिक्स इंडिया को मुख्यतः –
1) तुलसी कॉमिक्स का लोगो इस्तेमाल करने और तुलसी कॉमिक्स के लोगो वाली उनकी सभी री-प्रिंट्स पर रोक,
2) तोषी को शिवतोषी/शितोषी के रूप में “मर गया जम्बू” में पुनः प्रकाशित करने पर रोक, और
3) 10 लाख ₹ का जुर्माना देने का आदेश दिया है ।
इस पूरे प्रकरण से काफी हो हल्ला हुआ । इस सम्बन्ध में कॉमिक्स प्रेमी दो खेमों में बंटे हुए दिखे, जिसमे अधिकांश फेन्स ने साथ दिया कॉमिक्स इंडिया का । पूरी घटना से कुछ मुख्य बाते सामने आती है जो कि इस प्रकार है –
1) यदि राजा पॉकेट बुक्स के पास 2017 से ही तुलसी कॉमिक्स में 50% हिस्सेदारी थी, और, कॉमिक्स इंडिया ने सन 2019/2020 से तुलसी कॉमिक्स का पुनः प्रकाशन शुरू किया, तो अब जुलाई 2022 में लगभग 3 साल बाद ये 50% की जानकारी देकर और 10 लाख का हर्जाना मांगकर कॉमिक्स इंडिया को “बलि का बकरा” क्यूँ बनाया जा रहा है ? और यदि कॉमिक्स इंडिया को भी शुरू से ये बात पता थी तो क्या उन्होंने कभी इस बारे में राज कॉमिक्स से चर्चा की ? खासतौर पर उन दिनों जब ललित जी और संजय जी की मीटिंग वाली कुछ पिक्स कुछ महीनों पहले फेसबुक पर पोस्ट हुई थी !
2) यदि राज कॉमिक्स खुद “नागराज और जादूगर शाखूरा” कॉमिक्स में पहले तो बगैर इजाजत सुपरमैन, बैटमैन और स्पाइडरमैन (©डीसी एंटरटेनमेंट, ©मार्वल) का इस्तेमाल करती है और बाद में डाइजेस्ट (2011) और री-प्रिंट (2021) में रूप-रंग-नाम बदलकर उन्हें मेट्रोमैन, डार्कमैन, बगमैन बनाकर कॉपीराइट्स से बचने का रास्ता अपनाती है; तो यही राज कॉमिक्स अब उसी रास्तें पे जा रही कॉमिक्स इंडिया (तोषी→शितोषी) को क्यूँ रोक रही है ? अगर कॉमिक्स इंडिया को राज कॉमिक्स को आर्थिक हानि ही पहुँचानी होती तो वे शुरू से शिवतौसी के रूप में तौसी के अब तक काफी अंक प्रकाशित कर चुके होते । यदि इक्के दुक्के मल्टीस्टारर में वे शिवतौसी को लाकर पाठकों के लिए 90s के जमाने के अंगारा, जम्बू का कलेक्शन पूरा कराने को प्रयासरत है तो भला राज कॉमिक्स पर ऐसा कौनसा पहाड़ टूट रहा है ?
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3) अभी तक तो यह निश्चित हो गया था कि राजा पॉकेट बुक्स अब तीन अलग अलग धाराओं में बह रही है – RCSG, RCMG और RCMCG जिनकी दिशा सदैव एक दूसरे के विपरीत दिखाई दी है । अनुज भ्राता जी की तरफ से तो अधिकारों को लेकर “कोर्ट करेगा न्याय” का उद्घोष भी हो चुका था । तो फिर अचानक से कॉमिक्स इंडिया को “राजा पॉकेट बुक्स” की तरफ से लीगल नोटिस कैसे जारी हो गया ? क्या RCSG, RCMG & RCMCG ध्रुव की कॉमिक्स के रहस्यों की भांति महज एक नाटक, एक दिखावा था ? या फिर तीनों में से किसी एक भ्राता जी ने अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए एक माइंडब्लोइंग पारी खेल दी है ! वो शख्स कौन है इसका अनुमान शायद इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पूरे प्रकरण में उस शख्स को क्या फायदा हो सकता है । आइये बूझते है यह काल पहेली –
● RCSG :- इस मामले में संजय जी को कोई भी फायदा होता नजर नही आ रहा है । वो पहले ही न्यू कॉमिक्स प्रोडक्शन और सब कुछ शुरुआत से लाने, और सस्ते के कम्पटीशन आदि से लोहा ले रहे है । साथ ही रॉकी-ललित जी के साथ उनके मुलाकात की पिक्स भी हम देख चुके है । (जहाँ तक मुझे याद है ऐसी कुछ पिक्स देखने में आयी थी । आयी थी ना ?) इसलिए सजंय जी का वो शख्स होने का चांस मात्र 5% ही है ।
● RCMG :- अभी तक तोषी के समस्त रिप्रिंट्स और CE मनोज जी के द्वारा ही प्रकाशित हुए है । ऐसे में CI के द्वारा शितौसी के एलान से आर्थिक रूप से प्रभावित होने की आशंका इन्ही के मन मे आयी होगी ! सुना है आर्थिक-प्रबंधन के मामले में मनोज जी शुरू से ही चैंपियन रहे है । मनी है तो हनी है । नही तो हानि ही हानि है । इस हिसाब से शायद मनोज जी ने ही “राजा पॉकेट बुक्स” के नाम से हनी बचाने के लिए CI को डंक मारा होगा । इसलिए मनोज जी का वो शख्स होने का चांस 50% लग रहा है ।
● RCMCG :- मनीष जी की दबंग अदाओं से भला कौन कॉमिक्स प्रेमी अंजान होगा । चाहे ब्लॉगस्पोट्स द्वारा पायरेसी का मामला हो, आरती उतारने का मामला हो या राज कॉमिक्स के कॉपीराइट्स या क्रिएटिवस् द्वारा किसी अन्य खेमें में काम करने पर चेतावनी देना; कोर्ट-कचहरी-कानून-न्यायालय का खौफ दिखाने में छोटे भईया सदैव अग्रणी रहे है । राजा पॉकेट बुक्स के नाम से लीगल नोटिस भेज कर यदि ये केस राजा पॉकेट बुक्स जीतती है, तो लगे हाथ मनीष जी की “राज कॉमिक्स का न्यायाधीश द्वारा बंटवारा” कराने की मनवांछित इच्छा भी पूरी हो जाएगी । क्योंकि 10 लाख रुपये राजा पॉकेट बुक्स को मिलने के बाद वो कौनसी बाई की धारा में बहेंगे ये भी तो कोर्ट को ही निश्चित करना होगा ना ! इसलिए उस शख्स का मनीष जी होने का चांस 93℅ है ।
● एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि हो सकता है या तो तीनों भ्राताओं की इस मामले में मिलीभगत हो – 3 लाख + 3 लाख + 3 लाख + 1 लाख (दान-दक्षिणा) = 10 लाख । या फिर किन्ही दो भ्राताओं की मिली भगत हो – 5 लाख + 5 लाख (नो दान-दक्षिणा) ।
अब आगे बढ़ने से पहले हम 2 सेकेण्ड का मौन व्रत रखेंगे ।
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अंत मे सारांश और सुझाव यह है कि इस प्रकरण में दोनों प्रकाशकों को आपस मे मिलकर समझौता करना चाहिए और कॉमिक्स फेन्स की और देखते हुए दोनों को ही तुलसी कॉमिक्स के वे मल्टीस्टारर जिनमे तोषी आता है को अपने अपने प्रकाशन से सबको प्रकाशित करनी चाहिए । पाठक अपनी इच्छा से जहाँ से लेनी होंगी (तो) ले लेंगे, (वरना मत उर्फ नही लेंगे) । इस तरह कोर्ट के झमेले में पड़कर दोनो ही प्रकाशनों को जन-धन-मन-तन-बन-ठन चली देखो ऐ जाती रे जाती रे की हानि ही होगी । ऊपर से फेन्स के दिलों में जो इमेज खराब होगी सो अलग । इसलिए ॐ शांति शांति शांति हैSss का रास्ता अपनाइए और प्रेम की बंसी बजाइए ।
(नोट : उपरोक्त सभी सुझाव एवं निष्कर्ष मैंने मार्क जोकरबर्ग के कहने पर निकाले है, क्योंकि मैं फेसबुक का “ऑनलाइन वकील” हूँ और पिछले दो दिनों से इंडियन कॉमिक्स फेन्स ग्रुप्स में हो रहे हो हल्लो से मार्क जोकरबर्क की खोपड़ी पर जबरजस्त लोड पड़ा है जिसकी वजह से जोकरबर्क के तोते उड़ गए है और इस वजह से उन्होंने मुझे 10 लाख खरब डॉलर की दान-दक्षिणा देते हुए ये केस मुझे हेंडल किया है ।अब इस केस पर में सम्भवतः ये आखिरी पोस्ट कर अपना बोरिया बिस्तर समेट रहा हूँ । आशा है अब और अधिक हुड़दंग नही मचाई जाएगी और मार्क जोकरबर्ग को चैन की नींद आएगी । अतः में इस बात के साथ पोस्ट का द एन्ड करता हूँ कि ये मामला दिल्ली कोर्ट का है और अंतिम फैसला वही पर होगा । लेकिन वहाँ फैसला होने से पूर्व ही हम कॉमिक्स प्रेमियों के फैसलों को अपनाकर दोनो ही प्रकाशन अपने फासलों को कम कर ले तो यही सर्वोत्तम और सर्वोच्च न्याय होगा ।)




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